शारदा सिन्हा एक प्रसिद्ध भारतीय गायिका थी, जो विशेष रूप से भोजपुरी संगीत और लोकगीतों के लिए जानी जाती थी । उन्होंने भारतीय लोक संगीत, खासकर भोजपुरी, हिंदी, मैथिली और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में कई हिट गाने गाए हैं। शारदा सिन्हा का योगदान भारतीय संगीत के क्षेत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण है और उन्हें अपनी गायन कला के लिए कई पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं।
दिल्ली AIIMS में भर्ती लोक गायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार को निधन हो गया। 72 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। कल शाम से उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। तबीयत बिगड़ने के बाद 26 अक्टूबर को उन्हें एम्स में भर्ती किया गया था। वो आईसीयू में थीं। 3 नवंबर को हालत में थोड़ा सुधार होने पर वार्ड में शिफ्ट किया गया, लेकिन 4 नवंबर की शाम को उनका ऑक्सीजन लेवल काफी गिर गया था, जिसके बाद से वो वेंटिलेटर पर थीं।
शारदा सिन्हा 26 अक्टूबर से AIIMS में भर्ती थीं
शारदा सिन्हा को 3 नवंबर को ही प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट किया गया था। उनका ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा था, जिसके कारण उन्हें फिर से 4 नवंबर को ICU में शिफ्ट किया गया। पिछले 11 दिनों से वे दिल्ली AIIMS में भर्ती थीं। तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें ऑन्कोलॉजी वार्ड में भर्ती कराया गया था। उन्हें काफी समय से खाने-पीने में दिक्कत हो रही थी, जिसके लिए उनका इलाज भी चल रहा था। 26 अक्टूबर की सुबह उनकी तबीयत काफी ज्यादा खराब हो गई थी।
शारदा सिन्हा का जीवन परिचय
शारदा सिन्हा एक प्रसिद्ध भारतीय गायिका थीं, जो विशेष रूप से भोजपुरी संगीत और लोकगीतों के लिए जानी जाती थीं । उन्होंने भारतीय लोक संगीत, खासकर भोजपुरी, हिंदी, मैथिली और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में कई हिट गाने गाए हैं। शारदा सिन्हा का योगदान भारतीय संगीत के क्षेत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण है और उन्हें अपनी गायन कला के लिए कई पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं। शारदा सिन्हा भारतीय लोक संगीत की एक प्रमुख गायिका थीं, जो विशेष रूप से भोजपुरी संगीत, हिंदी, और मैथिली लोक गीतों के लिए जानी जाती थीं । वह भोजपुरी सिनेमा और भारतीय लोक संगीत की शास्त्रीय और पारंपरिक धारा की एक महत्वपूर्ण शख्सियत थीं ।
शारदा सिन्हा की प्रारंभिक जीवन यात्रा:
शारदा सिन्हा का जन्म बिहार के पटना जिले के बिहटा में हुआ था। उनके परिवार का गहरा संबंध संगीत से था। उनके पिता, श्री रघुनाथ प्रसाद, एक प्रसिद्ध संगीतज्ञ थे, जिन्होंने शारदा सिन्हा को बचपन से ही संगीत की शिक्षा दी। शारदा का संगीत के प्रति आकर्षण बहुत ही स्वाभाविक था, और उन्होंने बहुत कम उम्र में गायन की दुनिया में कदम रखा।
संगीत करियर:
शारदा सिन्हा ने अपने संगीत करियर की शुरुआत 1970 के दशक में की। उनकी पहली पहचान भोजपुरी लोक संगीत से हुई, जहां उनके गाने लोकप्रिय हुए। उनका पहला प्रमुख हिट गीत “साजनवा बैरी भए” था, जो उन्हें भोजपुरी संगीत जगत में एक प्रतिष्ठित नाम बना दिया। इस गीत ने शारदा सिन्हा को पूरे बिहार और उत्तर भारत में एक स्टार बना दिया।
इसके बाद, शारदा सिन्हा ने भोजपुरी फिल्मों के अलावा मैथिली, हिंदी, और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी गाने गाए। वह भोजपुरी गीतों की समृद्ध परंपरा की प्रतीक बन गईं, और उनके गाने आज भी लोग गाते हैं और सुनते हैं। उनकी गायकी में लोक धारा और शास्त्रीय संगीत का सुंदर मिश्रण देखने को मिलता है।
शारदा सिन्हा के प्रसिद्ध गीत:
1. “साजनवा बैरी भए” – यह गीत शारदा सिन्हा का एक प्रसिद्ध भोजपुरी गीत है, जिसने उन्हें एक नई पहचान दिलाई।
2. “भोले बाबा की है कृपा” – यह भक्ति गीत शारदा सिन्हा के गाने का एक प्रसिद्ध उदाहरण है।
3. “साजन के घर जा के”
4. “हरियारी झाड़ में”
5. “ललल ललल काशी”
6. “खैनी हो गईल”
शारदा सिन्हा की गायकी की विशेषताएं:
शारदा सिन्हा की आवाज़ में एक विशिष्ट मिठास और गहराई है, जो उनके गीतों को भावनाओं से ओत-प्रोत बनाती है। वह भोजपुरी लोक संगीत को शास्त्रीय संगीत के साथ एक सुंदर समन्वय प्रदान करती हैं, जो उनके गीतों में सुनने वालों को एक अलग ही अनुभव देता है। उनका संगीत पारंपरिक और आधुनिकता के बीच एक सेतु का काम करता है।
पुरस्कार और सम्मान:
शारदा सिन्हा को उनके संगीत के लिए कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया है, जिनमें प्रमुख पुरस्कारों में बिहार रत्न, पद्मश्री सम्मान और राष्ट्रीय पुरस्कार शामिल हैं। उन्हें उनके उत्कृष्ट संगीत और गायन के लिए विभिन्न सांस्कृतिक संस्थानों द्वारा भी सम्मानित किया गया है।
शारदा सिन्हा का योगदान:
शारदा सिन्हा ने भोजपुरी संगीत और लोक संगीत के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनका संगीत केवल एक कला का रूप नहीं था, बल्कि यह बिहार और उत्तर भारत की सांस्कृतिक पहचान बन चुका है। शारदा सिन्हा ने भोजपुरी संगीत को उच्च मानक पर लाकर उसे न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी एक नया पहचान दिलवाया। उनके द्वारा गाए गए गीत आज भी लोक संगीत की महत्वपूर्ण धारा के रूप में जीवित हैं।
शारदा सिन्हा की निजी जीवन:
शारदा सिन्हा ने अपनी निजी ज़िंदगी को हमेशा निजी रखा है। उनका ध्यान हमेशा अपने संगीत और गायन पर केंद्रित रहा है। वह कभी भी मीडिया या सार्वजनिक जीवन में अपने निजी मामलों को ज्यादा उजागर नहीं करतीं। उनके संगीत के प्रति समर्पण और उनकी मेहनत ने उन्हें आज एक सम्मानित और प्रतिष्ठित संगीतज्ञ बना दिया है।
शारदा सिन्हा के निधन पर पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शह से लेकर नीतीश कुमार ने दुख जताया है
- पीएम मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि सुप्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा के गाए मैथिली और भोजपुरी के लोकगीत पिछले कई दशकों से बेहद लोकप्रिय रहे हैं। महापर्व छठ से जुड़े उनके गीतों की गूंज भी सदैव बनी रहेगी।
- गृहमंत्री अमित शाह ने X पर लिखा, बिहार कोकिला के रूप में प्रसिद्ध शारदा सिन्हा जी ने मैथिली और भोजपुरी लोकगीतों को जन-जन का कंठहार बनाया। साथ ही पार्श्व गायिका के रूप में फिल्म जगत को मंत्रमुग्ध करतीं रहीं। इस छठ महापर्व पर उनका स्वर भक्तों को निश्चय ही और भी भावुक करेगा।
- सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार कोकिला शारदा सिन्हा के छठ महापर्व पर सुरीली आवाज में गाए मधुर गाने बिहार और उत्तर प्रदेश समेत देश के सभी भागों में गूंजा।
यहां शारदा सिन्हा के बारे में कुछ सामान्य पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) और उनके उत्तर दिए गए हैं:
1. शारदा सिन्हा कौन हैं?
- शारदा सिन्हा एक प्रसिद्ध भारतीय गायिका हैं, जो विशेष रूप से भोजपुरी लोक संगीत, हिंदी और मैथिली गीतों के लिए जानी जाती हैं। उनका संगीत करियर 1970 के दशक के मध्य में शुरू हुआ और उन्होंने भोजपुरी और भारतीय लोक संगीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
2. शारदा सिन्हा का जन्म कब और कहां हुआ था?
- शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहटा, पटना जिले, बिहार में हुआ था।
3. शारदा सिन्हा की गायकी की खासियत क्या है?
- शारदा सिन्हा की गायकी में भोजपुरी लोक संगीत, शास्त्रीय संगीत और भावनाओं का गहरा संचार होता है। उनकी आवाज़ में एक विशिष्ट मिठास और गहराई है, जो उनके गीतों को विशेष बनाती है। वह आमतौर पर भोजपुरी लोकगीतों में अपनी सशक्त आवाज़ के लिए जानी जाती हैं।
4. शारदा सिन्हा के सबसे प्रसिद्ध गाने कौन से हैं?
- शारदा सिन्हा के कुछ प्रसिद्ध गाने हैं:
- “साजनवा बैरी भए”
- “भोले बाबा की है कृपा”
- “हरियारी झाड़ में”
- “ललल ललल काशी”
- “साजन के घर जा के”
5. शारदा सिन्हा ने कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए हैं?
- शारदा सिन्हा को उनके संगीत के लिए कई पुरस्कार प्राप्त हुए हैं, जिनमें बिहार राज्य सम्मान, राष्ट्रीय पुरस्कार, और विभिन्न सांस्कृतिक पुरस्कार शामिल हैं। इसके अलावा, उन्हें भारतीय लोक संगीत में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया है।
6. क्या शारदा सिन्हा ने हिंदी फिल्मों में भी गाने गाए हैं?
- हां, शारदा सिन्हा ने हिंदी फिल्मों में भी गाने गाए हैं, लेकिन उनकी अधिक प्रसिद्धि भोजपुरी लोक संगीत और भोजपुरी फिल्मों के गानों के लिए रही है। वह मुख्य रूप से क्षेत्रीय भाषाओं में गायकी करती रही हैं।
7. शारदा सिन्हा का परिवार संगीत से जुड़ा हुआ है?
- हां, शारदा सिन्हा का परिवार संगीत के क्षेत्र से जुड़ा हुआ था। उनके पिता श्री रघुनाथ प्रसाद, एक संगीतज्ञ थे, जिन्होंने उन्हें संगीत की शिक्षा दी और संगीत के प्रति उनका प्रेम जगाया।
8. शारदा सिन्हा ने अपनी गायकी की शुरुआत कब की थी?
- शारदा सिन्हा ने अपने संगीत करियर की शुरुआत 1970 के दशक में की थी, और उनका पहला प्रमुख गीत “साजनवा बैरी भए” था, जो एक भोजपुरी गीत था। यह गीत उनके लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ और उन्हें बहुत लोकप्रियता मिली।
9. शारदा सिन्हा के योगदान को कैसे सराहा गया?
- शारदा सिन्हा को भारतीय लोक संगीत के क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदान के लिए कई पुरस्कारों और सम्मान से नवाजा गया है। उनकी गायकी ने भोजपुरी संगीत को एक नया मुकाम दिया और उसे व्यापक दर्शकों तक पहुंचाया।
10. शारदा सिन्हा का वर्तमान में क्या करियर है?
- शारदा सिन्हा का संगीत करियर आज भी सक्रिय है। वह विभिन्न सांस्कृतिक आयोजनों और संगीत कार्यक्रमों में भाग लेती हैं और उनकी गायकी की गूंज आज भी भारत के विभिन्न हिस्सों में सुनाई देती है।
11. शारदा सिन्हा के संगीत का क्या प्रभाव पड़ा है?
- शारदा सिन्हा ने भोजपुरी संगीत को एक नया स्वरूप दिया और इसे लोक संगीत की मुख्यधारा में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी गायकी ने भोजपुरी संगीत को न केवल बिहार और उत्तर भारत, बल्कि पूरे भारत में पहचान दिलाई।
12. शारदा सिन्हा का पसंदीदा संगीत क्या है?
- शारदा सिन्हा को शास्त्रीय संगीत और लोक संगीत में विशेष रुचि है, और वह हमेशा अपने संगीत को लोक धारा से जोड़कर रखती हैं।
13. शारदा सिन्हा के संगीत से जुड़ी प्रेरणा कहां से मिली?
- शारदा सिन्हा को संगीत में अपनी प्रेरणा अपने परिवार से मिली, खासकर अपने पिता श्री रघुनाथ प्रसाद से। उनके पिता एक संगीतज्ञ थे और उन्होंने शारदा को शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दी। इसके अलावा, शारदा सिन्हा को बचपन से ही लोक संगीत के प्रति गहरा प्रेम था, जो उनकी गायकी में प्रकट होता है।
14. क्या शारदा सिन्हा की गायकी का कोई खास अंदाज है?
- शारदा सिन्हा की गायकी का अंदाज बहुत ही भावपूर्ण और संवेदनशील है। उनकी आवाज़ में एक विशेष मिठास और स्पष्टता है, जो उनके गानों को दिल को छूने वाला बनाती है। उनकी गायकी में लोक संगीत के साथ शास्त्रीय संगीत का आदान-प्रदान भी देखने को मिलता है, जो उनके गानों को एक अद्वितीय शैली देता है।
15. क्या शारदा सिन्हा की भोजपुरी गाने भारतीय सिनेमा के अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी प्रसिद्ध हुए हैं?
- हां, शारदा सिन्हा के भोजपुरी गाने केवल उत्तर भारत और बिहार में ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में लोकप्रिय हो गए हैं। उनके गाने नेपाल, भारत के पूर्वी राज्यों और अन्य भोजपुरी भाषी क्षेत्रों में भी सुनने को मिलते हैं। शारदा सिन्हा का योगदान भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, और उन्होंने भोजपुरी संगीत को एक नया जीवन और पहचान दी है।
16. शारदा सिन्हा की संगीत शिक्षा कहां से शुरू हुई?
- शारदा सिन्हा की संगीत शिक्षा घर से ही शुरू हुई थी। उनके पिता एक प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतज्ञ थे, जिन्होंने शारदा को बचपन से ही संगीत की शिक्षा दी। इसके बाद उन्होंने औपचारिक रूप से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा भी ली। शारदा सिन्हा का गायन हमेशा पारंपरिक संगीत से प्रेरित था, जिसमें उन्होंने लोक संगीत के साथ-साथ शास्त्रीय संगीत के तत्वों को मिश्रित किया।
17. शारदा सिन्हा के कुछ प्रमुख भोजपुरी फिल्म गीतों के नाम क्या हैं?
- शारदा सिन्हा के कुछ प्रमुख भोजपुरी फिल्म गाने जो बहुत लोकप्रिय हुए, वे निम्नलिखित हैं:
- “साजनवा बैरी भए” – यह गीत उनकी प्रसिद्धि का पहला बड़ा हिट था।
- “खैनी हो गईल”
- “भोले बाबा की है कृपा”
- “साजन के घर जा के”
- “हमार कवनो गलती नइखे”
- “ललल ललल काशी”
18. शारदा सिन्हा का सबसे बड़ा योगदान क्या है?
- शारदा सिन्हा का सबसे बड़ा योगदान भोजपुरी लोक संगीत को एक नया पहचान देना और उसे मुख्यधारा में लाना है। उन्होंने भोजपुरी गीतों के माध्यम से लोक धारा को उच्च स्तर पर पेश किया और इसे भारतीय संगीत के एक महत्वपूर्ण अंग के रूप में स्थापित किया। उनके गीतों ने भोजपुरी संगीत को व्यापक दर्शकों तक पहुंचाया और उसे एक नई दिशा दी।
19. क्या शारदा सिन्हा का प्रभाव भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री पर पड़ा?
- शारदा सिन्हा का भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री पर गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने भोजपुरी फिल्मों में गीत गाकर न केवल इसे लोकप्रिय बनाया, बल्कि इसके सांस्कृतिक और संगीत गुणों को भी सराहा। उनके गाने आज भी भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री का अहम हिस्सा हैं, और नए कलाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं।
20. क्या शारदा सिन्हा के गाने धार्मिक गीतों में भी शामिल हैं?
- हां, शारदा सिन्हा ने कई धार्मिक और भक्ति गीत भी गाए हैं। उनका “भोले बाबा की है कृपा” एक बहुत ही प्रसिद्ध भक्ति गीत है, जो शिव भक्तों में खासा लोकप्रिय है। इसके अलावा, उन्होंने देवी पूजा, गणेश पूजा और अन्य धार्मिक अवसरों पर भी गाने गाए हैं।
21. शारदा सिन्हा की निजी ज़िंदगी के बारे में क्या जानकारी है?
- शारदा सिन्हा ने अपनी निजी ज़िंदगी को हमेशा निजी रखा है। उन्होंने परिवार, संगीत और अपने पेशेवर जीवन के बीच संतुलन बनाए रखा है। उन्होंने कभी मीडिया या सार्वजनिक जीवन में अपने निजी मामलों को ज्यादा उजागर नहीं किया। वह हमेशा अपने काम और अपने संगीत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए जानी जाती हैं।
22. शारदा सिन्हा को कौन से पुरस्कार मिले हैं?
- शारदा सिन्हा को उनके उत्कृष्ट संगीत योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले हैं। इनमें प्रमुख पुरस्कारों में बिहार रत्न सम्मान, राष्ट्रीय पुरस्कार, और पद्मश्री सम्मान शामिल हैं। इसके अलावा, उन्हें विभिन्न सांस्कृतिक संगठनों और राज्य सरकारों द्वारा भी सम्मानित किया गया है।
23. शारदा सिन्हा का समकालीन संगीतकार कौन था?
- शारदा सिन्हा के समकालीन संगीतकारों में कई प्रसिद्ध भोजपुरी संगीतकार और गायक शामिल हैं, जिनमें मनोज तिवारी, गायक उपेंद्र यादव, और दीनानाथ यादव जैसे नाम प्रमुख हैं। हालांकि, शारदा सिन्हा का संगीत और गायन शैली इन कलाकारों से काफी अलग था, और उन्हें एक अलग पहचान प्राप्त थी।