दोस्तों जैसा कि आप जानते हैं कि अभी बिहार में सर्वे का काम शुरू हो चुका है कई जिलों में कार्य हो चुका है और कई जिलों में कार्य अभी जारी है। ऐसे में सवाल बनता है कि मेरा जमीन अगर बिना मोटेशन का है तो उसका सर्वे कैसे किया जाएगा तो आज के इस ब्लॉक पोस्ट में इसी पर बात करेंगे।
अगर आपने अभी तक अपना जमीन का मोटेशन नहीं करवाया है और आप नया सर्वे करवाना चाहते हैं तो यह एक गंभीर विषय है लेकिन चिंता मत कीजिए मैं सारे सवालों का जवाब देने वाला हूं।
बिना मोटेशन का सर्वे कैसे करवाएं
दोस्तों यदि आपका जमीन 2023 से पहले का है जिसे आपने रजिस्ट्री कर कर खरीदा था परंतु अभी तक आपने मोटेशन नहीं करवाया है तो यह काफी चिंता वाली विषय है, क्योंकि फिलहाल जो सर्वे हो रहा है उसमें उसी का काम होगा, जिसका मोशन सक्सेसफुल हो चुका हैं। परंतु यहां पर एक रास्ता दिखाई पड़ता है, अगर आप सर्वे का फॉर्म लेकर प्रपत्र 2 भरते हैं और उसमें वह व्यक्ति जैसे आप जमीन लिए हैं।अगर वह सिग्नेचर कर देता है तो जमीन फिर आपकी हो जाएगी।
वंशावली का फॉर्म कैसे भरा जाता है ?
वंशावली, जिसे अंग्रेजी में “Genealogy” कहा जाता है, एक दस्तावेज होता है जिसमें किसी व्यक्ति या परिवार के पूर्वजों की जानकारी होती है। यह दस्तावेज़ परिवार के वंशजों की पीढ़ी-दर-पीढ़ी सूची प्रदान करता है, जिसमें उनके नाम, जन्म की तिथि, विवाह, और मृत्यु आदि का विवरण शामिल होता है। वंशावली किसी परिवार के इतिहास को संरक्षित करने का एक महत्वपूर्ण साधन है, जो पीढ़ियों के माध्यम से पारित होती है।
वंशावली का महत्व
वंशावली का ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व होता है। यह न केवल व्यक्ति को उसके पूर्वजों की जानकारी देती है बल्कि समाज और समुदाय में व्यक्ति की पहचान को भी मजबूत करती है। वंशावली के माध्यम से व्यक्ति अपने परिवार की जड़ें जान सकता है और उस पर गर्व कर सकता है। इसके अलावा, यह कानूनी मामलों जैसे संपत्ति विवाद, उत्तराधिकार, और सरकारी योजनाओं के तहत लाभ प्राप्त करने में भी सहायक होती है।
बिहार में वंशावली का महत्व
बिहार जैसे राज्य में वंशावली का महत्व और भी अधिक होता है क्योंकि यहां भूमि और संपत्ति से संबंधित विवाद अक्सर सामने आते हैं। वंशावली के दस्तावेज का उपयोग इन विवादों को सुलझाने में किया जा सकता है। इसके अलावा, बिहार सरकार की कई योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए वंशावली प्रमाणपत्र की आवश्यकता होती है।
वंशावली फॉर्म भरने की प्रक्रिया
वंशावली फॉर्म भरने की प्रक्रिया एक व्यवस्थित ढंग से होती है, जिसमें व्यक्ति को अपने परिवार के सभी सदस्यों की जानकारी भरनी होती है। बिहार में वंशावली फॉर्म भरने की प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में विभाजित की जा सकती है:
फॉर्म प्राप्त करना:
वंशावली फॉर्म बिहार सरकार की वेबसाइट या संबंधित विभाग के कार्यालय से प्राप्त किया जा सकता है। इसे ऑनलाइन भी डाउनलोड किया जा सकता है।
आवश्यक दस्तावेजों का संकलन:
वंशावली फॉर्म भरने से पहले, परिवार के सभी सदस्यों के आवश्यक दस्तावेजों को एकत्र करना महत्वपूर्ण होता है। इनमें आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, विवाह प्रमाण पत्र, राशन कार्ड, और परिवार के सदस्यों की तस्वीरें शामिल हो सकती हैं।
फॉर्म में विवरण भरना:
फॉर्म में दिए गए कॉलम में व्यक्ति को अपने परिवार के सदस्यों का नाम, जन्म तिथि, जन्म स्थान, पिता का नाम, माता का नाम, और परिवार के अन्य सदस्यों की जानकारी भरनी होती है।
इसमें मुख्य रूप से पिता के वंश को प्राथमिकता दी जाती है, यानी कि पितृ वंश का उल्लेख होता है।
यदि परिवार में कोई महिला विवाह कर दूसरे परिवार में चली गई है, तो उसका नाम और उसके नए परिवार का विवरण भी दर्ज करना होता है।
फॉर्म का सत्यापन:
फॉर्म भरने के बाद, इसे स्थानीय ग्राम पंचायत, नगर निगम, या संबंधित राजस्व कार्यालय में जमा करना होता है। वहां के अधिकारी फॉर्म में दी गई जानकारी का सत्यापन करेंगे।
सत्यापन के दौरान अधिकारियों द्वारा परिवार के सदस्यों से जानकारी की पुष्टि की जा सकती है।
फॉर्म जमा करना:
सत्यापन के बाद, फॉर्म को संबंधित कार्यालय में जमा कराना होता है। इसके साथ ही, जमा किए गए दस्तावेजों की एक प्रति भी संलग्न करनी होती है।
फॉर्म जमा करने के बाद, आवेदनकर्ता को एक रसीद दी जाती है, जो आगे की प्रक्रिया के लिए आवश्यक होती है।
फॉर्म की स्वीकृति और प्रमाणपत्र जारी करना:
यदि सभी जानकारी सही पाई जाती है, तो संबंधित अधिकारी वंशावली प्रमाणपत्र जारी करेंगे। यह प्रमाणपत्र उस परिवार के सदस्यों के लिए आवश्यक सभी जानकारी को शामिल करेगा।
वंशावली प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बाद, इसे भविष्य में किसी भी कानूनी या व्यक्तिगत कार्यों के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है।
वंशावली आवेदन के लिए आवश्यक शर्तें और दस्तावेज़
वंशावली के लिए आवेदन करते समय निम्नलिखित दस्तावेज़ों की आवश्यकता हो सकती है:
- आधार कार्ड या अन्य पहचान पत्र
- जन्म प्रमाणपत्र
- विवाह प्रमाणपत्र (यदि लागू हो)
- परिवार के सदस्यों की तस्वीरें
- निवास प्रमाणपत्र
वंशावली आवेदन के लाभ
कानूनी सहायता: वंशावली प्रमाणपत्र कई कानूनी मामलों में सहायक होता है, जैसे संपत्ति विवादों का निपटारा, उत्तराधिकार संबंधी मामले, और सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करना।
सरकारी योजनाओं में लाभ: बिहार सरकार की कई योजनाओं में वंशावली प्रमाणपत्र की आवश्यकता होती है। यह दस्तावेज़ आपके परिवार के सभी सदस्यों की पहचान और उनके अधिकारों की पुष्टि करता है।
सामाजिक सम्मान: वंशावली प्रमाणपत्र से व्यक्ति को उसके परिवार और समाज में उसकी पहचान मिलती है। इससे उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया
बिहार सरकार ने वंशावली के लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा भी प्रदान की है। इसके लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जा सकती है:
वेबसाइट पर पंजीकरण:
सबसे पहले, बिहार सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर पंजीकरण करना होता है। इसमें आधार कार्ड या मोबाइल नंबर के माध्यम से लॉगिन किया जा सकता है।
फॉर्म भरना:
पंजीकरण के बाद, वंशावली फॉर्म को ऑनलाइन भरना होता है। इसमें सभी आवश्यक जानकारी दर्ज करनी होती है और दस्तावेज़ अपलोड करने होते हैं।
फीस का भुगतान:
ऑनलाइन आवेदन करते समय, आवेदन शुल्क का भुगतान भी ऑनलाइन ही किया जाता है। भुगतान के बाद आपको रसीद प्राप्त होती है, जिसे आप भविष्य में उपयोग के लिए सुरक्षित रख सकते हैं।
प्रमाणपत्र प्राप्ति:
आवेदन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद, सत्यापन के उपरांत वंशावली प्रमाणपत्र को ऑनलाइन डाउनलोड किया जा सकता है।
निष्कर्ष
वंशावली का दस्तावेज न केवल व्यक्ति के पारिवारिक इतिहास को संरक्षित करने का एक माध्यम है, बल्कि यह कानूनी और सामाजिक मान्यता का भी प्रमाण है। बिहार में वंशावली प्रमाणपत्र के लिए आवेदन की प्रक्रिया को समझना और इसे सही ढंग से पूरा करना आवश्यक है ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार के कानूनी या व्यक्तिगत विवादों में इसका लाभ उठाया जा सके।
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